आराम तलबी और दुनिया परस्ती इंसान को अपने दीनी और अखलाकी फर्ज पर अमल करने और हक़ का समर्थन करने से रोक देती है। यह दोनों चीज़ें इंसान और समाज के पतन का कारण बनती है। एक सच्चा मुसलमान और हकीकी मोमिन वही है जो अपने कर्तव्यों का पालन करे अल्लाह, रसूल और अहलेबैत के आदेशों का पालन करे और हर समय और हर जगह सच्चाई का साथ दे।
लेकिन यह रास्ता आसान नहीं है। यह एक खतरनाक और महंगा रास्ता है। दुनिया की मोहब्बत, आराम तलबी, और ऐशों इशरत में डूबे लोग इस रास्टे पर नहीं चल सकते और वह इस मैदान से ग़ायब रहते हैं।
रसूलल्लाह (स.अ.) के बाद का समाज पतन की ओर चला गया क्योंकि लोगों ने दुनिया की चकाचौंध, धन दौलत और यज़ीद और मुआविया की दौलत और चालों मे आकर अपने नबी के नवासे को कत्ल कर डाला और उनके कत्ल पर खुशियां मनाई। उन्होंने कर्बला के मैदान में हुसैन बिन अली (अ.स.) जैसे मुजस्सम हक़ के पैकर को शहीद कर दिया, और कुछ लोग बस देखते रहे।
दुनियादारी और गुमराही की यह बीमारी किसी भी जमाने में पाई जा सकती है, सिवाय उस समय के जब आशूरा का लॉजिक और कर्बला का संदेश ज़िंदा और सक्रिय हो।
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